के. के. भारती की कुछ कविताएँ

k k bharti ki kavitayen

तुम्हारी चीखें वें बहरे सुनेंगें,

इस धोखे में मत रहना,

तुम्हें वें इंसाफ देंगें,

इस धोखें में मत रहना,

सबकुछ तुम्हारा छीनकर,

वें बुलाकर तुम्हे देंगे,

इस धोखें में मत रहना,

तुम्हारे लिए वें लड़ेंगें,

इस धोखे में मत रहना,

“अपने हक के लिए लड़ों,

इंसाफ के लिए लड़ों”