युवाओं के लिए प्रेरणा है उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री असीम अरुण

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असीम अरुण युवाओं के लिए एक प्रेरणा है | यह एक ऐसा  चेहरा है जो जोशीला, बहादुर और अनुभवी होने के साथ-साथ युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय भी है | अपने पूरे करियर के दौरान एक भी दाग इनकी शख्सियत पर नहीं लगा | यह एक ऐसा चेहरा है जो किसी परिचय का मोहताज नहीं, क्योंकि इनकी ईमानदारी ही इनकी पहचान है | शायद इनकी इसी खूबी को पहचानते हुए भारतीय जनता पार्टी ने इन्हें देश की सेवा के लिए चुना और इस तरह इन्हें देश की सेवा करने का अवसर मिला |

दरअसल, असीम अरुण कन्नौज सदर से उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गए | अपनी काबिलियत की बदौलत इस समय वह योगी सरकार में समाज कल्याण मंत्री के पद पर आसीन है | लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कितने संघर्षों का सामना किया | इस आर्टिकल के जरिए उनके जीवन में आए उतार-चढ़ाव से आपको पूरी तरह से अवगत कराने की कोशिश की गई है |

आज देश के कई सारे युवाओं में यूपीएससी की परीक्षा क्रैक करने का जुनून तो सभी ने देखा होगा लेकिन इस परीक्षा में सफल होने के लिए कितना संघर्ष और कठिन परिश्रम करना पड़ता है, यह बात असीम अरुण से बेहतर कोई नहीं जानता |

हर युवा की तरह उनके अंदर भी यूपीएससी एक्जाम क्रैक करके ऑफिसर बनने का जुनून था, जिसके लिए उन्होंने बहुत कठिन परिश्रम किया क्योंकि यह एक ऐसा सपना था जिससे ना सिर्फ वह बल्कि उनका परिवार भी जुड़ा था | आत्मविश्वास से भरे असीम अरुण ने कठिन परिश्रम के बल पर न सिर्फ यूपीएससी एग्जाम क्वालीफाई किया बल्कि देश की सेवा करने के लिए आईपीएस चुना | अपने करियर के दौरान कौन-कौन से कारनामे किए यह जानने से पहले उनके परिवार और उनके बचपन पर एक नजर डालते हैं –

असीम अरुण का जीवन परिचय

असीम अरुण का जन्म 3 अक्टूबर 1970 को उत्तर प्रदेश के कन्नौज शहर के एक दलित परिवार में हुआ था | इनके पिता श्रीराम अरुण 1963 बैच के आईपीएस ऑफीसर थे और असीम की मां शशि अरुण एक मशहूर लेखिका के रूप में जानी जाती है | असीम के पिता ने  उत्तर प्रदेश में डीजीपी के पद पर रहते हुए अपनी सेवाएं दीं | साल 2000 में इनके पिता का रिटायरमेंट हुआ |

इसके बाद साल 2018 में कैंसर से लड़ते हुए इनके पिता जी का देहांत हो गया | परिवार में शुरू से पढ़ाई लिखाई का माहौल था | असीम अरुण की स्कूली शिक्षा सेंट फ्रांसिस स्कूल लखनऊ से पूरी हुई | इसके बाद अपना ग्रेजुएशन  पूरा करने के लिए वो दिल्ली चले गए | दिल्ली के स्टीफंस कॉलेज से उन्होंने बीएससी पूरी की |

कठिन मेहनत कर यूपीएससी में सफल होने के बाद असीम अरुण बैच 1994 के ADC रैंक के ऑफिसर चुने गए | उनकी पहचान निडर और एक तेजतर्रार ऑफिसर के रूप में बनी | जिसने अपने करियर के दौरान कई बार खुद को साबित करके दिखाया |

कई जिलों की संभाल चुके हैं कमान

असीम अरुण जिला पुलिस प्रमुख (District Police Chief) के तौर पर गोरखपुर, बलरामपुर, हाथरस, अलीगढ़, सिद्धार्थ नगर और आगरा में भी तैनात रह चुके है | इनकी प्रतिभा को पहचानते हुए इन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड कमांडो के लिए भी ट्रेंड किया गया | इसके बाद इन्हें एसपी नियुक्त किया गया | एसपी रहते हुए इन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया | इसके बाद इनको एडीजी के तौर पर प्रमोट किया गया | सफर यहीं नहीं रुका कुछ समय बाद यह कानपुर के पुलिस कमिश्नर भी नियुक्ति किए गए |

जब खूंखार आइएसआइएस आतंकी  सैफुल्लाह का किया था खात्मा

कार्यकाल के दौरान इस जांबाज अफसर को कुछ ख़ुफ़िया सूत्रों से जानकारी मिली कि आईएसआईएस का एक खतरनाक आतंकवादी  लखनऊ को दहलाने की गंभीर घटना को अंजाम देने वाला है | बिना एक पल भी देरी किए असीम तुरंत एक्शन में आए और उन्होंने एटीएस कमांडोज़ की मदद से आतंकियों के मंसूबे पर पानी फेर दिया और इस खतरनाक आइएसआइएस आतंकी सैफुल्लाह को ठाकुरगंज में ढेर कर दिया |

जब देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दी सुरक्षा

बात तब की है जब मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री का कार्यभार संभाला | तब निर्भीक और शानदार प्रदर्शन के बलबूते इस जाबाज़ ऑफिसर को प्रधानमंत्री का सबसे नजदीकी सुरक्षा अधिकारी (SPG) चुना गया | देखा जाए तो देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा अपने आप में ही एक बहुत बड़ी चुनौती थी, जिसे असीम अरुण ने बखूबी निभाया |

बुजुर्ग दंपत्ति को इंसाफ दिला,  बने सोशल मीडिया के हीरो

कमिश्नर बनने से पहले असीम की तैनाती उत्तर प्रदेश के एडिशनल जनरल डायरेक्टर ऑफ पुलिस 112 के तौर पर हुई थी | इसके बाद इन्हें कानपुर का पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया | कमिश्नर बन जाने के बाद भी इनका व्यक्तित्व जमीन से जुड़ा रहा | यह एक ऐसे कमिश्नर रहे, जो जनता के डायरेक्ट संपर्क में थे | बात उन दिनों की है जब वह कानपुर में कमिश्नर के पद पर तैनात थे | तब अपने ही बूढ़े मां बाप को बेसहारा करने वाले बेटे बहू को कमिश्नर ने खुद जाकर सबक सिखाया था | जिसकी वजह से वह सोशल मीडिया पर छा गए | वाकया यह था कि बुजुर्ग दंपत्ति को उनके ही बेटे बहू ने घर से निकाल दिया | पुलिस स्टेशन के चक्कर काटने के बाद भी कानपुर के इस बुजुर्ग दंपत्ति को इंसाफ नहीं मिला | लेकिन जैसे ही यह खबर कमिश्नर असीम अरुण तक पहुंची, वो बुजुर्ग दंपत्ति को साथ लेकर खुद ही इंसाफ दिलाने निकल पड़े |

घर से बेघर हुए दंपत्ति ने उन्हें लाख दुआएं तब दी जब बुजुर्ग दंपत्ति को अपने घर पर दोबारा से रहने का अधिकार मिला | साथ ही साथ अपने ही माता-पिता को घर से निकालने और मारपीट करने वाले आरोपी बेटा बहू को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया गया |

जब आईपीएस असीम अरुण ने बनाई देश की पहली SWAT टीम

देश में जनपद स्तर पर पहली बार स्वाट टीम को बनाने का श्रेय असीम अरुण को जाता है | वर्ष 2009 में असीम अरुण ने अलीगढ़ जनपद में तैनाती के वक्त देश में पहली बार विशेष हथियार से लैश एक टेक्टिक्स टीम  (स्वाट टीम) का गठन किया, वह भी जनपद स्तर पर | जिसका मकसद आतंकवादी गतिविधि से जुड़े किसी भी खतरनाक मिशन को फेल करना है | स्वाट टीम के अंतर्गत आतंकी और जोखिम पूर्ण मिशन को अंजाम तक पहुंचाने वाली खास हथियारों से लैस विशेष कमांडोज की टीम है | इतना ही नहीं असीम अरुण जब आगरा में डीआईजी के पद पर तैनात थे, तब उन्होंने इस तरह की टीम को और विस्तारित किया और वहां पर भी स्वाट टीम का गठन किया |

SPG, NSG, CBI के अलावा UNO के लिए भी दे चुके हैं अपनी सेवाएं

असीम एसपीजी, एनएसजी मानेसर सहित सीबीआई की साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन एकैडमी गाजियाबाद के लिए भी काम कर चुके हैं | पुलिस की डायल 100 सेवा शुरू करने में उनका ही अहम रोल है | यह एक ऐसे कमांडो के रूप में जाने जाते हैं जिनसे अपराधी थर-थर कांपते है | 

वर्ष 2002 में असीम संयुक्त राष्ट्र संघ के कोसोवो में एक  साल तक तैनात रहे | जहां उनके काम और सेवाओं को काफी सराहा गया | इन सब के बावजूद असीम अरुण आज भी एक साधारण सा सादगी भरा जीवन जीना पसंद करते हैं | 

जब आईपीएस ऑफिसर असीम अरुण ने छोड़ी अपनी नौकरी

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का ऐलान होते ही यूपी की 403 सीटों वाली 18वी विधानसभा के लिए असीम अरुण की प्रतिभा को पहचान कर  भारतीय जनता पार्टी की ओर से पर्चा भरने को आमंत्रित किया गया | साथ ही और अधिक सामाजिक कार्य करने के लिए राजनीति में उतरने का सुझाव दिया गया | तब उन्होंने भी महसूस किया कि कई ऐसे कार्य है जो राजनीति में आकर ही और बेहतर तरीके से किए जा सकते हैं, इसलिए उन्होंने नौकरी से वीआरएस लेने का फैसला किया | वजह थी असीम अरुण देश की हिफाजत करने का जो काम ऑफिसर बन कर कर रहे थे, अब वही काम देश के नेतृत्व कर्ता के रूप में करेंगे | जिसके लिए उनका राजनीति में आना बहुत जरूरी था |

इन्हीं विचारों के साथ कानपुर के पूर्व कमिश्नर असीम अरुण लखनऊ के बीजेपी दफ्तर पहुंचे और पार्टी की सदस्यता ग्रहण की | बीजेपी ने भी खुलकर उनका जोर-शोर से स्वागत किया |

वह दिन भी आया जब चुनाव का परिणाम सबके सामने था | असीम अरुण ने सपा के तीन बार के विधायक को न सिर्फ पटखनी दी बल्कि वह  अपने गृह जनपद कन्नौज से भारी बहुमत से विधायक चुने गए | उसी दौरान नवनिर्वाचित इस विधायक ने एक ऐसा कदम उठाया जिसकी सब तरफ तारीफ होने लगी | दरअसल असीम अरुण अपने प्रतिद्वंदी सपा प्रत्याशी अनिल दोहरे से मिलने उनके घर पहुंच गए | तब इस वाकये ने सबको चौंका दिया हालांकि चुनाव के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उन पर जमकर हमला किया था | नेता बनने के बाद असीम अरुण  अपने गृह जनपद कन्नौज के खैरनगर ग्राम भी पहुंचे, तो वहां के स्थानीय लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया |

पीएम मोदी की शख्सियत से प्रभावित,  असीम अरुण चलना चाहते हैं नरेंद्र मोदी जी के नक्शे कदम पर

असीम अरुण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शख्सियत से काफी प्रभावित है | चुनाव जीतने के बाद वह सबसे पहले अपने घर पहुंचे जहां पर उनका बचपन बीता था | घर पहुंच कर उन्होंने अपने पैतृक घर की चौखट को प्रणाम करके, अपने सफर की शुरुआत के लिए कदम आगे बढ़ाया | यह वही घर था जहां से इनके स्वर्गीय पिता श्रीराम अरुण ने भी अपना संघर्ष शुरू किया था |

असीम अरुण का मानना है कि उनके विचार और बीजेपी के विचार एक जैसे हैं | देश के प्रधानमंत्री को वो अपना रोल मॉडल मानते हैं, और उन्हीं के नक्शे कदम पर चलकर देश को विकसित करना चाहते हैं | असीम का कहना है कि अब राजनीति में आकर और बेहतर तरीके से ऐसे सामाजिक कार्य कर पाउँगा, जो अब तक नहीं हो सके | मेरे जैसे और लोग जो अच्छा काम कर रहे हैं, उन्हें लोक सेवा करने के लिए एक अवसर जरूर दिया जाना चाहिए | प्रशासनिक सेवा छोड़ राजनीति में आए असीम अरुण को अपने काम की बदौलत ही प्रदेश सरकार में समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में जिम्मेदारी दी गयी |

अब समाज कल्याण योजनाओं पर ऑनलाइन रखी जा सकेगी नजर

विभागीय मंत्री असीम अरुण विभाग की वेबसाइट का एक ऐसा डैश बोर्ड बनवाने वाले हैं, जिससे एक झलक में विभाग के सारे क्रियाकलापों की प्रगति की जानकारी मिल सकेगी | समाज कल्याण विभाग की सभी योजनाओं की अब ऑनलाइन निगरानी हो सकेगी | छात्रवृत्ति, वृद्धा-पेंशन, आश्रम पद्धति विद्यालय, मुख्यमंत्री शादी-अनुदान आदि योजनाओं को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने और पारदर्शिता के साथ अपात्र लाभार्थियों की छंटनी आदि के लिए निदेशालय स्तर पर पांच विशेष मेल बनाए गए हैं |

युवाओं की प्रेरणा

युवाओं के लिए उनका जीवन किसी प्रेरणा से कम नहीं | उन्होंने न सिर्फ पर्दे के पीछे रहकर काम किया बल्कि सिस्टम में आकर देश की बागडोर संभालने की भी जिम्मेदारी ली | इसमें कोई दो राय नहीं कि अब वह युवाओं के रोल मॉडल बन चुके हैं |